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सब पे कृपा करते हैं राम

जय श्री सीताराम
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सब पे कृपा करते हैं राम
सबका जीवन सँवारते हैं राम
जिसका न कोई संगी न साथी
उसका सहायक है राम ।।1।।
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जगत का आधार हैं राम
सृष्टि के कण-कण में व्याप्त हैं राम
जिस मुख से राम निकले
वह मुख धन्य है राम ।।2।।
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अहं भाव ना हो किसी में राम
ऐसी कृपा करो तुम सब पे राम
सब तेरा नाम जप-जप के
सब तुझमें खो जाये राम ।।3।।
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दास हूँ मैं तेरा प्रभु
पतितों में भी पतित हूँ मैं राम
शरण कब दोगे नाथ
अब दुःख हरलो राम ।।4।।
जय श्री सीताराम ।।

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