Site icon Saavan

समझाये उन्हें क्या

समझाये उन्हें क्या,
जो अपनी बातों से मुकर गए ।

वो करते रहे, गैरो की परवाह
जिनके अपने आशियाने उजड़ गए ।

कभी मिलोगे तुम, दिल से भी हमसे
या मुहोब्बत के ज़माने गुजर गए…

कुछ तो खास है,तेरे मेरे दरमियां
यूँ तो बहुत मिले..कई बिछड़ गए

क्या बताये,क्या गुजरी हमपे साहिब
दिल मे रहने वाले
जब दिल से उतर गए,

ख्वाहिशें बहुत थी,तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
जो समझें हम,तो मायने बदल गए ।

कवयित्री
राजनंदिनी रावत,ब्यावर(राजस्थान)

Exit mobile version