सम्मान और स्थान,
बनाना किसी के दिल में
आसाॅं नहीं है लेकिन,
इतना भी कठिन नहीं है।
थोड़ा सा त्याग करो गर,
निज स्वार्थ से हो कर परे।
कभी किसी के लिए भी सोचो,
ऐसी धूप खिलेगी जीवन में,
सुगन्धिं सी बिखरेगी पवन में।
सुख समेट ना पाओगे फिर तुम,
इतना सुकून मिलेगा मन में॥
______✍गीता