कुछ कहे बिना ही बहुत कुछ कह गया,
ख़ामोश बादल यूँही बरस कर रह गया,
बनाया आशियाना बड़ी उम्मीदों से हमनें,
ज़रा सी हुई हरकत तो परस कर रह गया,
कैद ऐ मोहब्बत की गिरफ्त से छूट कर,
राही अंजाना सबसे सरस कर रह गया।।
राही अंजाना
परस- स्पर्श
सरस – रसीला, स्वादिष्ट