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सरहद

सरहद

मानवता के बीच मे ,
खीच गयी देखो सरहदे।
भूल रहे है सब अपनो को ,
मोह – माया झोड गलीयो को ।।

खिंचकर सरहदे वे ,
अब देखो कितना मुस्कुराएॅ ।
निशाना साध रहे है आज,
इंसानियत भी खतरे मे है आज ।।

हिन्दू -हिन्दू मुस्लिम -मुस्लिम ,
ये कैसी सत्तारूढवादी ।
कभी जो मिलकर रहते थे,
आज वही खिंच रहे सरहदे ।।

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महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864
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