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सर्दी जुकाम जैसा इश्क

लड़की हो या बस की सीट कब्जा है तुम्हारा
तुम ही हो शहजादे फकत रुतबा है तुम्हारा।

लड़कियां इतनी बुरी होती हैं तो इश्क क्यों करते हो
तब दिमाग काम क्यों नहीं करता है तुम्हारा।

तुम्हारे पहलू में रहें तुम्हें बाबू शोना कहें
ठुकरा दे तो इगो हर्ट होता है तुम्हारा।

जिन्हें इश्क होता है वो यूं बदनाम नहीं करते
ये प्यार नहीं सिर्फ attraction है तुम्हारा।

ये कॉलेज फ्रेंड है वो मामा की लड़की
जानू अब तुम्हे भरोसा नहीं हमारा

जितना प्यार तुमसे करता हूं
उतना तो x को भी नही करता था

X, y सबका स्वाद चख चुके हो फिर भी
कहते हो हम इश्क हैं तुम्हारा।

मेरा प्यार कैंसर है मरने के बाद ही जाएगा
सर्दी जुकाम जैसा इश्क लगता है तुम्हारा।

ना तुमसे पहले कोई था ना तुम्हारे बाद कोई होगा
ये क्यों नहीं कहते कि गोरख धंधा है तुम्हारा।

इश्क जब नया नया होता है तब कदमों में झुक जाते हो
फिर कहते हो पुष्पा राज झुकेगा नई साला।

बेटा हो या बेटी मां को बराबर दर्द होता है
फिर हमें ही क्यों घर छोड़ना पड़ता है हमारा।

कभी एसिड डालते हो तो सौ टुकड़ों में बांटते हो
कलेजा क्यों नहीं कांप उठता है तुम्हारा।

कभी कोपचे में मिलों बताते हैं तुमको
अजी प्रज्ञा शुक्ला यूं ही नहीं नाम है हमारा।

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