साँसे राही अंजाना 5 years ago ज़िन्दगी भी कैसे साँसे तलाश करती है, मौत की आहोश में बाहें तलाश करती है, यूँहीं बंध कर रहने वाली धकड़न मेरी, अक्सर आहें तलाश करती है, जिस्म से मोहब्बत करने वाली रूह, आज भी राहें तलाश करती है।। राही अंजाना