साँसों की आरजू मचलने दो!
रोशनी चाहतों की जलने दो!
नज़र में आयी है याद तेरी,
सरहदें ख्वाबों की पिघलने दो!
हादसे इसकदर कुछ हो गये हैं!
गम-ए-हालात में हम खो गये हैं!
हसरतें बिखरी हैं रेत की तरह,
ख्वाब भी पत्थर से कुछ हो गये हैं!
Written By मिथिलेश राय ( महादेव )