सागर से मिलकर जैसे नदी खारी हो जाती है राही अंजाना 6 years ago सागर से मिलकर जैसे नदी खारी हो जाती है, तुमसे मिलकर वैसे मेरी तबीयत भारी हो जाती है, बहुत हिम्मत जुटाकर भी तुमसे नज़रें मिला नहीं पता, क्यों देखकर मेरी धड़कन तुमपे वारी हो जाती है।। – राही (अंजाना)