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साथ चलते हैं।

 

साथ चलते हैं।

चल साथ चलते हैं।
मंज़िल की छोड़ ना!!
इस बार हम राह चुनते हैं।
गुज़रते जायेंगे लम्हें
हर लम्हों को कहीं
किसी भी तरह क़ैद करते है
चल! साथ चलते हैं।

हाथ पकड़ लेते हैं।
हो सकता है तकदीर में
कुछ और लिखा है
तो हम भी गुस्ताख़ी करते है
एक दूसरे की लकीरों को
कुरेद लेते हैं।
चल! साथ चलते हैं।

जहाँ तक भी हो
जितना भी हो
जी भर लेते हैं
चल ना! बस साथ चलते हैं।

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