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सावन का आँगन

सावन में आज फिर
बहे प्रेम की धार
गा रहे कवि सभी
मीठा मीठा राग
मीठा मीठा राग गायें
मिल सभी कविजन,
ना मन हो छोटा
यह है सावन का आँगन
बिना अनर्गल बातों में आये
लिखो कहानी
जो पढ़कर बच्चा बच्चा,
हर्षित हो राजधानी।।

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