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सावन का मुग्ध फुहार तू है

सावन का मुग्ध फुहार तू है ।

बूंदो की रमणीक धार तू है ।।

कोमल वाणी मे खिली,

आह! लचक सुरीली ।

खनकती बोली मे ढली,

ओह!आवाज सजीली

सावन झड़ी मस्त बहार तू है ।

सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।

हवा की मादकता मधुर,

सरसराहट मे निखरी अजब,

बदन मे ऊमंग की सजी,

कशमकशाहट अजब।।

सावन की बेला साकार तू है ।

सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।

पानी मे नहाया यौवन,

सांसो मे रफ्तार बढाये।

दृश्य सावन मे लाजवाब,

मन मे चाहते प्यार जगाये ।

सावनी बारिशकी रसधार तू है ।

सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।

 

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