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सावन

सावन
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बारिश की रिमझिम बूंदों ने,
कुछ इस तरह मन हर्षाया ।
जैसे सूखे प्यासे होठों ने ठंडा मीठा जल हो पाया ।
उल्लासित है . .हर वृक्ष लता, कलियां झुंढो में रही ठ ठा।
गुनगुन का है संगीत बजा,
धरती ओढ़े परिधान हरा । कितना सुंदर है दृश्य यहां पेड़ों पर छाई नहीं छटा।
केसरिया घन बन घूम रहे,
हवाओं के संग डोल रहे।
टप- टप का है संगीत बजा ।
पेड़ों पर छाई नई छटा।
आंखें चाहे पीले जहां ।
दिल चाहे फिर कुछ जी ले पल,भीगे फिर हो ना हो यह कल, मन खो सा गया ,
मन डूब गया ,आनंद में गोते लगाता गया ,लगाता गया…. ।

निमिषा सिंघल

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