सिखाता कोई नहीं बस सीखना पड़ता है,
अपने रिश्तों को खुद ही सूझना पड़ता है,
दिल की जितनी ही पहरेदारी की जाती है,
उसको उतनी ही बिमारी से जूझना पड़ता है।।
राही (अंजाना)
सिखाता कोई नहीं बस सीखना पड़ता है,
अपने रिश्तों को खुद ही सूझना पड़ता है,
दिल की जितनी ही पहरेदारी की जाती है,
उसको उतनी ही बिमारी से जूझना पड़ता है।।
राही (अंजाना)