Site icon Saavan

सुख और दुख

सुख-दुख सिक्के के दो पहलू,
जीवन में आते जाते हैं,
अच्छाई और बुराई का,
फर्क हमें बतलाते हैं।
दुख में सब सुमिरन करते हैं,
श्री हरि- हरि नाम जपते हैं,
अनुभूति हुई ज्यों सुख की,
नारायण को बिसराते हैं।
लालच लोलुपता का चक्कर,
मानव को स्वार्थ मदांध करें,‌
अहंकार का वशीभूत,
दुख के फेरे में पड़ जाए।
सुख दुख होते हैं क्षणिक मात्र,
समता का भाव तुम निहित करो,
स्थितियां बन जाएंगी अनुकूल,
परमात्मा का धन्यवाद करो।

स्वरचित मौलिक रचना
अमिता गुप्ता

Exit mobile version