सूरज Satish Chandra Pandey 4 years ago भोर हो रही है धीरे-धीरे सूरज की धमक बढ़ रही है, थोड़ा किनारे हो जा बादल के टुकड़े, आज पूरी तरह चमकने दे उसे, तू इक्कट्ठा कर आज अपने सारे अंश कल बरस लेना पूरी शिद्दत से, आज उजाला होने दे।