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सोने दो

जो भी हो रहा है मेरे यार होने दो,
जो जाग ही नहीं रहे उन्हें सोने दो,

उतर जाने दो सवालों का पहिया,
मेरे दिल को दिल से उत्तर देने दो,

हँसने दो हालत पे मेरी लोगों को,
तुम मुझे मेरी ही मस्ती में रोने दो,

दब रहे हैं एहसानों के वजन से,
छोड़ो व्याज़ मूल के पत्थर ढोने दो,

न दिन न रात में मुलाक़ात हुई है,
सुनो मुझे ख्वाब में उनके खोने दो।।

राही अंजाना

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