चिरैया होगी!
तुम अपने मां बाबा की।
लाडली होगी!
तुम अपने भाई और बहन की ।
समाज के भूखे भेड़ियों के लिए
तुम बस एक शिकार हो।
इज़्ज़त पर तेरी फिर बन है आई,
फिर लड़नी होगी अस्तित्व की लड़ाई।
समाज में घूमते हैं हर जगह कसाई,
लड़कियां सुरक्षित नहीं
मेरे देश की जग हसाई।
दरिंदों की बस्ती है
इंसानों की तंगी है
वहशत बेढंगी है
तुझे बनना होगा रणचंडी है।
खुद को बना लो
तुम अपना हथियार
खुद ही को कर
हर युद्ध के लिए तैयार।
मिर्च झोंक आंखों में
जूते तैयार हो।
हर चौराहे पर इनकी
मरम्मत लगातार हो।
पुलिस को भी छूट हो
गोलियों की बौछार हो।
सरेआम लाठी-डंडों से
इन पर प्रहार हो।
तब कहीं जाकर……….
प्रियंका ,निर्भया जैसी
लाखों बेटियों को,
कुछ तो आराम हो।
निमिषा सिंघल