जब रात स्वप्न में मैं सोया था,
एक गहरे समन्दर में खोया था,
दूर दूर तक सच कुछ नहीं था,
मैं एक झूठी दुनियाँ में रोया था,
राही (अंजाना)
जब रात स्वप्न में मैं सोया था,
एक गहरे समन्दर में खोया था,
दूर दूर तक सच कुछ नहीं था,
मैं एक झूठी दुनियाँ में रोया था,
राही (अंजाना)