घात लगाये बैठे हैं स्वार्थ के सारे पुजारी,
बचकर रहना मेरे अनमोल मित्र तुम।
ये दुनिया में बहरूपिए के शक्ल में बहुत है,
जालसाज कुत्ते भेड़िए से बचकर रहना तुम।।
महेश गुप्ता जौनपुरी
घात लगाये बैठे हैं स्वार्थ के सारे पुजारी,
बचकर रहना मेरे अनमोल मित्र तुम।
ये दुनिया में बहरूपिए के शक्ल में बहुत है,
जालसाज कुत्ते भेड़िए से बचकर रहना तुम।।
महेश गुप्ता जौनपुरी