स्वैत आँचल को तेरे चेहरे से छिटकते देखा है
बरसात के बाद चटक धूप मैं तुझे खिलते देखा है
सुआपंख साड़ी को तेरे तन से लिपटते देखा है
वो भीनी-भीनी,वो सोंधी-सोंधी खुशबू तेरे तन की
इन हवाओं मैं बड़े करीब से महसूस किया है
मैंने पहाड़ मेने तुझे दुल्हन की तरह सजते देखा है
स्वैत आँचल को तेरे चेहरे से छिटकते देखा है
