हमारे ही हो तुम हमारे रहोगे
मेरी प्रीत को तुम संभाले रहोगे।
तुम्हारी हथेली में अपनी लकीरें
न पाकर विधाता से मैं लड़ रही हूं।
मेरी मांग में सज न पाया जो कुमकुम
वो सिंदूरदानी में मैं भर रही हूं।
इसी कामना में जिए जा रही हूं
कि अगले जनम तुम हमारे रहोगे।
जतन कर लिए सारे जपतप भजन व्रत
मिलन की विफल युक्तियां सब रही हैं
मेरे भाग्य को मेरे अंतस की कुंठा
या रूठी कोई यामिनी लिख रही है ।
परिस्थिति कठिन या अमंगल हो बेला
करो प्रण वरण तुम हमारा करोगे।