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हमेशा मुस्कुराते रहो

तुम धरती हो, तुम आसमान हो और तुम ही ये जाहां हो

सूरज सा तेज और चाँद की चांदनी की तरह ही तो तुम ही हम सब की शान हो

मुश्क़िलों जैसी चीज़ों का ना कोई एहसास

हँसते खिलखिलाते चेहरो में दमकता सा आत्मविश्वास

तुम्ही तो हम सब की आस हो

हार जीत तो जिंदगी का एक हिस्सा है

पर तुम्हारा हर चीज़ से लड़ने का हौसला जीत से कही ज्यादा खास है

सुन्दर सी मुस्कान और चेहरे की मासूमियत हमेशा मुझे तुम्हारे और करीब लाती है

सीखने का जूनून और कुछ नया जानने की ललक मुझे तुमसे हमेशा कुछ न कुछ सीखा जाती है

बस इसी तरह हँसते रहो मुस्कुराते रहो,

मस्त रहो और हमेशा खुशियां मनाते रहो

मुश्किल समय को जीना और समझना सीखो

बस इसी उत्साह के साथ आगे बढ़ते रहो

और हमेशा अपने माता पिता का सिर गर्व से ऊँचा करते रहो |

– मनीष उपाध्याय

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