यह साहित्य महज
चंद लेखनियों का गुलाम नहीं
हम जैसे कितने आएगे और कितने जाएगे
हर कवि जोड़ेगा एक पन्ना और
अनगिनत पाठक पढ़ते जाएगे
कुछ ऐसा लिखेंगे हम और
कुछ ऐसा कर जाएगे
जो साथ अधूरा ही छोंड़ गये
ऐसे इतिहास को मिटाते जाएगे
जोड़ेगे कुछ अध्याय हम
जीवन के इतिहास में
कुछ फेर बदल भी करते जाएगे
हम रचयिता हैं, हम कालिदास हैं
आने वाली पीढ़ी को कुछ बेहतर दे जाएगे…