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हम लुत्फ़ कुछ

हम लुत्फ़ कुछ बारिशों का यूँ उठा रहे है
अपने आंसुओं को बारिशों में छुपा रहे है

उसी को याद करना और हमेशा याद रखना
किसी को भूलने की क्या अदावत निभा रहे है

हम तो हो गए कायल अपने नए हुनर के
खाक दीवानगी की हर तरफ उड़ा रहे है

अभी तो कारवां कोई गुजरा नहीं फिर भी
जनाब आप आखिर किस गुबार से घबरा रहे है

जहाँ में कौन कब किसी का हुआ ‘अरमान’
बस ये सोच हम तबियत अपनी बहला रहे है

हम लुत्फ़ कुछ बारिशों का यूँ उठा रहे है
अपने आंसुओं को बारिशों में छुपा रहे है
राजेश’अरमान’

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