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हम सब भारतवासी हैं

सौभाग्य हमारा है बंधु, हम सब भारतवासी हैं।
सुखी रहे सब लोग यहाँ, इसके हम अभिलाषी हैं।।
धरती को हम माता कहते
गैया पूजी जाती हैं।
वृक्ष सभी यहाँ देव रूप हैं
नदियाँ पूजी जाती हैं ।।
नाहर बैल हंस नहीं केवल, काग श्वान भी सुखरासी हैं।
सौभाग्य हमारा है बंधु हम सब भारतवासी हैं।।
जाति धर्म का भेद नहीं है ।
काले गोरे का खेद नहीं है।।
शब्द ब्रह्म का आदर करते, बेशक हम बहुभाषी हैं।
‘विनयचंद ‘रे भूप यहाँ पर होता एक सन्यासी है।।

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