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हर कोना रोशन हो जमी का

हर घर से भाग रहा है
बुराई का अंधेरा
सोने वाले जाग गए हैं
कल एक नया सवेरा
मन की आंखों से निहारो
हर बुराई में छिपी अच्छाई
इसी सोच को सच करने
फिर से लौट कर दिवाली आई
कभी किसी का बुरा न सोचो
कभी ना तोड़ो दिल किसी का
जलो दिए की तरह अगर तुम
हर कोना रोशन हो जमी का।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज

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