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हल्की हल्की सी हवा जो ये बह रही है।

हल्की हल्की सी हवा जो ये बह रही है।
न जानें क्या है जो ये मुझसे कह रही है।।
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तन्हाइयों को देखा है मैंने रोते हुए अक्सर।
सब मेहफिलो का दर्द है जो वो सह रही है।।
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तुम्हारे होने का बस इतना सा एहसास है हमें।
की बिना चाँद के ही रोशनी बिखर रही है।।
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ता उम्र हम जीते रहे है इक वहम के साथ में।
बर्बाद होते रहें तो लगा की जिंदगी सुधर रही है।।
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मेरा होना न होना किसके लिए मायने रखता है।
वो तो मुकर गया अब मेरी साँसे मुकर रही है।।
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साहिल खुद को जो सैलाब ए बला समझतें है।
हमसे ज़रा मुखातींब तो हो क्यूँ डर रही है।।
@@@@RK@@@@

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