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हवन

जो सब लोग की कहन है कहन कर रहा हूँ मैं,
किसी को क्या पता कितने जतन कर रहा हूँ मैं,

बड़ा छोटा सबका तो सम्मान रखा करता हूँ मैं,
आते जाते हर किसी को तो नमन कर रहा हूँ मैं,

बाते बहुत हैं पर मुँह पे लाना अच्छा नहीं होता,
तो मन के भीतर ही भीतर हवन कर रहा हूँ मैं।।

राही अंजाना

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