आँख मलती
जग रही बिटिया
मुँह बनाती |
ठप्प दुकान
नहीं कोई ग्राहक
बुरा समय |
गलियाँ तंग
आवाजाही हो रही
चुभे दीवार |
अशोक बाबू माहौर

आँख मलती
जग रही बिटिया
मुँह बनाती |
ठप्प दुकान
नहीं कोई ग्राहक
बुरा समय |
गलियाँ तंग
आवाजाही हो रही
चुभे दीवार |
अशोक बाबू माहौर