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हाथ से

क्या छिपा रही हो हाथ से,
क्या देख रही हो आख से,
लग रहा जुखाम हुई आपको
जो नाक पोछ रही हो हाथ से,
———
✍ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’-

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