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हिंदी की व्यथा

“हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ”

क्या सुनाऊँ मैं, हिंदी की व्यथा।
वर्तमान सत्य है, नहीं कोई कथा।

आजकल के बच्चे
A B C D… तो फर्राटे से हाँकते हैं।
‘ककहरा’ पूछ लो तो बंगले झाँकते हैं।

आजकल के बच्चे
वन, टू, थ्री… तो एक लय में बोलते हैं।
‘उन्यासी’ बोल दो तो मुँह ताकते हैं।

आजकल के बच्चे
अंग्रेजी शब्दों में ‘Silent’ अक्षर भी लिख जाते हैं।
हिंदी मात्रा, वर्तनी की अशुद्धियाँ ईश्वर ही वाचते हैं।

आजकल के बच्चे
अंग्रेजी ‘Quotes’ तो बखूबी जानते हैं।
मुहावरे का अर्थ पूछ लो तो काँपते हैं।

हिंदी भाषा का उत्तरदायित्व,
आने वाली पीढ़ी ऊठा पाएगी?
हिंदी भाषा का अस्तित्व बचेगा,
या फिर ‘हिnglish’ बन जाएगी?

अभी उचित कदम न उठाएँ तो,
ग्लानि ही शेष बचेगी अन्यथा।
क्या सुनाऊँ मैं, हिंदी की व्यथा।
वर्तमान सत्य है, नहीं कोई कथा।

देवेश साखरे ‘देव’

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