देखते ही देखते सारे जवाब खो गये,
ज़मीन पे लेटते ही सारे ख्वाब सो गये,
उठाये थे ज़माने ने सावल जितने भी,
हकीकत से मिले सारे हिजाब हो गये।।
राही अंजाना
देखते ही देखते सारे जवाब खो गये,
ज़मीन पे लेटते ही सारे ख्वाब सो गये,
उठाये थे ज़माने ने सावल जितने भी,
हकीकत से मिले सारे हिजाब हो गये।।
राही अंजाना