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हिन्दी कविता- आसमान की बुलंदी

हिन्दी कविता- आसमान की बुलंदी
गिरा तो फिर भी उठ जाएगा |
झुका नहीं तो तू टूट जाएगा |
छूना है आसमान की बुलंदी |
पाँव उठा तो आधार छुट जाएगा |
हारा भी तू योद्धा लड़ा तो सही |
पीछे मुड़ा मुकद्दर रूठ जाएगा |
सफर क्या जिसमे आंधिया न हो |
हौसला रख तू गुबार फुट जाएगा |
मांगना है हिम्मत मांगो खुदा से |
मंजिल मिलेगी अंधेरा छंट जाएगा |
पाना मुकाम आसान नहीं होता |
जुनून की हद रोड़ा हट जाएगा |
श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,
मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

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