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हिन्दी कविता- बसंत आने लगा |

हिन्दी कविता- बसंत आने लगा |
बागो मे फूल कलियों बाहर अत्यंत आने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
शरद ऋतु शने शने बिगत अब होने लगी |
धूप की नरमी अब गर्मी मे बदल जाने लगी |
गरम लिहाफ छोड़ मौसम सुखांत आने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
फूलो भवरों की गूंज अब गुंजने को है |
बहारों पराग पवन संग अब महकने को है |
चिड़ियों चह चह दिग दिगंत गाने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
पिया तू कहा पपीहा बिरह राग गाएगा |
सजनी को याद सजन बहुत अब आयेगा |
खुमार मदहोसी जीव जंत छाने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
टोली जवानो की राग फाग अब गाएँगे सब |
झाल मजीरा माँदर झूम अब बजाएँगे सब |
ऋतुराज स्वागत पुस्प पंथ बिछाने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
प्रीतम की प्यारी भर नयनो मे मद सारी |
मीठे कोयल की कुक उठे मन हुक नर नारी |
हिय प्रिय मधुर मिलन गीत कंठ गाने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |
झर झर निर्झर झरते झरने पवन |
बयार पुरवा बढ़ाए तन बदन अगन |
गंध केसर महक योवन आनंद सुहाने लगा |
मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा |

श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,

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