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हिन्दी गजल- उसे बुझाओ लोगो |

हिन्दी गजल- उसे बुझाओ लोगो |
टूट रहे जो रिश्ते भाईचारे उसे बचाओ लोगो |
खींच रही जो दिवार दुश्मनी उसे गिराओ लोगो |
जल रहा जो मकान वो हमारा और तुम्हारा भी |
धु – धु हो रहा शहर सारा उसे बुझाओ लोगो |
बढ़ाके दिलो दूरिया छुप गए सियासतदान कही |
दहक रहा घर उनका भी उन्हे दिखाओ लोगो |
उन्माद उत्पात और आगजनी कोई हल नहीं |
मजहबी मर्ज की दवा कोई है बताओ लोगो |
वो भी क्या दिन थे हर बात हम गले मिलते थे |
अब भी वही जज्बाये दिल हाथ मिलाओ लोगो |
हो जूजून खुशहाली वतन उन्माद सही नहीं |
भूल नफ़रतों गुबार गुल मोहब्बत खिलाओ लोगो |
है मौके की तलास दुशमन की हम लड़ मरे |
हम एक थे एक रहेंगे जरा उसे बताओ लोगो |
जुम्मन का जुम्मा दिनु की दिवाली संग मनाएंगे |
घर का मसला मिल खुद ही सुलझाओ लोगो |

श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,

मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

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