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हिन्दी गजल-संग जो चले होते |

हिन्दी गजल-संग जो चले होते |
दो कदम तुम दो कदम हम संग चले होते |
तन्हा न मै तन्हा न तुम कभी दोनों रहे होते |
याद किया होता गर दिल से कभी तुमने मुझे |
कभी ख्वाबो मे ही सही हम दोनों मिले होते |
सिवा तेरी यादों के पास मेरे कुछ बचा नहीं |
साथ दिया न वक्त वरना इश्क फूल खिले होते |
कास की लौट आते हमारे वो बीते हुये लम्हे |
मै तुम्हारा तुम हमारे अब मीत बन चले होते |
ये मजबूरियाँ ये दूरियाँ खलती बहुत है मुझे |
दिल लगाया न होता न हम तेरे दिलजले होते |
छोड़ चुके हो मेरा साथ मेरे शहर को तुम |
लौट आते तुम मोहब्बते गुल फले फुले होते |

श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,

मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

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