हर बार पड़ी जिसको मुह की खानी है
पर छोडता नहीं तू क्यूँ शैतानी है
अस्तित्व ही मिट जाएगा धरा से तुम्हारा
इक्कीसवीं सदी के हम हिंदुस्तानी है
हर बार पड़ी जिसको मुह की खानी है
पर छोडता नहीं तू क्यूँ शैतानी है
अस्तित्व ही मिट जाएगा धरा से तुम्हारा
इक्कीसवीं सदी के हम हिंदुस्तानी है