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हिसाब की पंचायत

हिसाब की पंचायत वहाँ लगती हैं
जहाँ दोनो तरफ सौदागर होते हैं

लूटतें हैं दिल की दौलत जब चितचोर
अक्सर ये लूटरोंसे लोग बेखबर होते हैं

बेहिसाब नुक़सान होता है दिलदार का
जब दिल्लगी मे बेईमान ख़ुद दिलबर होतें हैं ।

– Nirmal

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