हिसाब नहीं•••• Pragya 3 years ago हृदय पर कितने पत्थर रखे हैं हिसाब नहीं हम तुम्हें याद कर कितना रोए हैं हिसाब नहीं। तुम देते रहे सितम अपनी मदहोशी में हमारे जमीर को कितनी चोट लगी हिसाब नहीं।।