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हृदय नाद

हृदय नाद
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आत्ममुग्ध हो कर
खुद से प्रेम करो।

हंसो!
अपने आप पर।
सुनो !
धड़कनों के संगीत को।

दिशा भ्रमित होकर
संगीत लहरिया
कहां बह चली?

उन्हे रोको ना
पीछा करो
बहने दो।

अपने ही रसिक
बनकर देखो।

मोहित हो जाओ
अपनी बचकानी हरकतों पर।

बांध लो!
अपने मोहपाश में
उन परछाइयों को

जो मंडराती रहती है
तुम्हारे आसपास ।

होंठो से स्पर्श करो!
उन शब्दों को
जो तैरते रहते हवाओं में
तुम्हारे बेहद पसंदीदा।

कान लगाओ!
उन धड़कनों पर

जो बजती रहती
तुम्हारे हृदय में
तुम्हारे मनपसंद गाने की तरह।

फिर देखो जिंदगी
कितनी सुंदर है

हर रंग जियो
हर हाल में
बस खुश रहो।

निमिषा सिंघल

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