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है निशानियां तेरी….

है निशानियां तेरी,
इन फिजाओं में।
कभी चांद तो ,
कभी सितारे कहते हैं।
कहते हैं मुड़ कर देख।
जिसे तू चाहता है,
वह वही है।
जिसे हर रोज तू पाता है।
याद वही सिमटी हुई है।
जिससे हर रोज,
तू गले लगाता है।
कभी छुप कर देख लेना।
जो कभी खत्म ही ना हो।
वह प्यार उसे कौन मिटाता है।
है निशानियां तेरी इन फिजाओं में।

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