होकर जुदा तुमसे हर शाम यूँ ही होती है!
शामों-सहर जिन्दगी तमाम यूँ ही होती है!
मैं खोजता हूँ सब्र को जाम के पैमानों में,
मेरी मयकशी तेरे नाम यूँ ही होती है!
Composed By #महादेव
होकर जुदा तुमसे हर शाम यूँ ही होती है!
शामों-सहर जिन्दगी तमाम यूँ ही होती है!
मैं खोजता हूँ सब्र को जाम के पैमानों में,
मेरी मयकशी तेरे नाम यूँ ही होती है!
Composed By #महादेव