होते ही शाँम मैं किधर जाता हूँ?
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ!
होता है खौफ यादों का इसकदर,
जाँम की महफिल में नजर आता हूँ!
यूँ न मुस्कराओ तुम नजरें बदलकर!
नीयत पिघल रही है मेरी मचलकर!
धधक रही है चाहत गुफ्तगूं के लिए,
ख्वाहिशों की जैसे करवट बदलकर!
Written By मिथिलेश राय ( महादेव )