जाएगी खुद से है जंग , तकदीर भी कुछ रूठी सी है
एक मुद्दत से है इंतज़ार हमे
अब तो उम्मीदें भी सब झूठी सी है
मगर है जज्बा बाकि दिल में कि
मेहनत रंग लाएगी मेरी
“सुथार” किस्मत न सही
मुश्किलें सीढियां बन मेरी ।।
-गुलेश सुथार
जाएगी खुद से है जंग , तकदीर भी कुछ रूठी सी है
एक मुद्दत से है इंतज़ार हमे
अब तो उम्मीदें भी सब झूठी सी है
मगर है जज्बा बाकि दिल में कि
मेहनत रंग लाएगी मेरी
“सुथार” किस्मत न सही
मुश्किलें सीढियां बन मेरी ।।
-गुलेश सुथार