एक ख़याल में दुबे रहे और,
बचीखुची मेरी सांसे चली गयी
हम करते रहे तेरा इंतज़ार
और ये दुनिया आगे चली गयी
अब कोई आता है सामने,
तो याद ही नही रहता कौन था?
ध्यान दिया तो महसूस हुआ
आखिर कहाँ ये निगाहें चली गयी
मैं ना कहता था साथ रहना तू,
मेरा भी वक़्त आएगा एक दिन
गाडी,बंगला ,धन दौलत और
सब कुछ हासिल होगा एक दिन
पर तू गयी मुझे मेरे साथ अकेला करके
पता नहीं कहाँ तेरी पनाहें चली गयी
एक ख़याल में दुबे रहे और,
बचीखुची मेरी सांसे चली गयी
हम करते रहे तेरा इंतज़ार
और ये दुनिया आगे चली गयी
:- मनमोहन शेखावत ‘मन’