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ख़्वाबों से बाहर निकल के देखते हैं

ख़्वाबों से बाहर निकल के देखते हैं,

चलो आज हकीकत से मिल के देखते हैं,

बहुत दिन हुए अब छुपाये खुद को,

चलो आज सबको रूबरू देखते हैं,

बड़ी भीड़ है जहाँ तलक नज़र जाती है,

चलो दूर कोई खाली शहर देखते हैं।।
– राही (अंजाना)

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