ख़्वाबों से बाहर निकल के देखते हैं राही अंजाना 6 years ago ख़्वाबों से बाहर निकल के देखते हैं, चलो आज हकीकत से मिल के देखते हैं, बहुत दिन हुए अब छुपाये खुद को, चलो आज सबको रूबरू देखते हैं, बड़ी भीड़ है जहाँ तलक नज़र जाती है, चलो दूर कोई खाली शहर देखते हैं।। – राही (अंजाना)