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ग़ज़ल

तेरे दुआओं में असर देखना है
अब तो ज़हर पी के देखना है
तन्हाई में बहुत बसर कर लिए
अब तो महफिलों में तन्हा देखना है
कहते थे कि मर जायेंगे भूलकर तुम्हें
अब तो बस उन्हें मरते हुए देखना है
ये स्याह रात,जाम और उनकी याद
अब तो अश्क़ को लफ़्ज़ों में देखना है
तेरी याद लिखने के सब सामान लायी है
अब तो बस ग़ज़ल बनते हुए देखना है
“विपुल कुमार मिश्र”
#VIP~

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