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ग़ज़ल

अक्सर खुशी का रिश्ता ग़म से होता है

इसीलिए हँसी में भी आँख नम होता है

 

मेरे हाल पर हँसने वालों ज़रा गौर करो

वक़्त ही तो है हरदम बदल रहा होता है

सुना है दर्द हद से गुज़रे तो लफ्ज़ होता है

तो लिखो किताब यहां पूरी ग़ज़ल होता है

जिंदगी के फ़लसफ़े से गुजरे तो जाना

जिंदगी है,खेल इसका भी अजीब होता है

 

हर दिल मे कोई न कोई ग़म होता है

खैर छोड़ो सबका अपना राज़ होता है

“विपुल कुमार मिश्र”

#VIP~

 

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