Site icon Saavan

ज़ख्म

कहते हैं वक्त के साथ हर जख्म भर जाता है
पर वो जख्म कैसे भरे जो तुम हमें दे गए
मांग लिया होता दिल अपने आप ही दे देते
पर तुम सीना चीर कर निकाल ले गए.

ए जिंदगी कुछ शिफारिस लगा उनसे
समझ नहीं आता जियूं या मरूं
बिन दिल के धड़कन का क्या करूं
इस खाली जगह को अब मै कैसे भरुं.

दुख क्या होता है आज मुझे समझ में आया
जब ना मिले कभी तपते रेगिस्तान में छाया
दुख को रेत की तरह समझा और मुट्ठी से गिराया
बिसात क्या थी इसकी मेरी जिंदगी में जिसे मैंने
ठोकर मार कर धूल समझ उड़ाया.

बेवफा वो कैसी है गहरा दर्द देकर भी
दूर खड़ी मुस्काए
कह दो ना इस दर्द को तुम्हारी तरह बन जाए
ना मुझे याद करें और ना मेरे करीब आए.

Exit mobile version